Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -24-Apr-2023 ये इश्क नहीं आसां

रुकमणी की जब नींद खुली तो दोपहर हो चुकी थी । आजकल की लाइफ ऐसी ही है । रात भर मस्ती करो और दिन भर सोओ । कल 31 दिसंबर था इसलिए पूरी रात मस्ती का दौर चला था । उसकी कंपनी के मालिक करण ने एक डिस्कोथेक बुक कर लिया था । कंपनी के सभी कर्मचारियों को आवश्यक रूप से उस पार्टी में शामिल होना था । कोई विकल्प नहीं था किसी के पास । जाम के दौर पर दौर चले । रुकमणी वैसे तो पीती नहीं थी मगर कल बॉस ने उससे बहुत जिद की तो उसने भी एक दो पैग चढ़ा ली थी । फिर क्या था । सुरूर चढ गया था उसके ऊपर । उसके बाद तो उसने सैण्डल तोड़ डान्स किया था । खूब ठुमके लगाये ।  फिर जी भरकर खाना खाया । ऐसे में घर वापस कैसे जायें ? ड्राइव करने की हिम्मत ही नहीं थी उसकी । विकास छोड़कर गया उसे उसके फ्लैट पर । वह पूरी तरह बेहोश नहीं थी मगर उसने बेहोशी का स्वांग रच लिया था । वह देखना चाहती थी कि विकास इस मौके का कोई बेजां फायदा तो नहीं उठा लेगा । विकास उसकी उम्मीदों पर खरा उतरा । उसने ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं की थी । अब रुकमणी के दिल में विकास के लिए इज्ज़त के साथ साथ इश्क भी पनपने लगा था । 
उसने उठकर मेल चैक किया । उसका अनुमान सही निकला । नये साल के अवसर पर बॉस सबका इन्क्रीमेण्ट लगाता है जिसकी सूचना मेल से दी जाती है । पदोन्न्ति भी होती है । रुकमणी का इन्क्रीमेण्ट तो लग गया था मगर पदोन्नति नहीं मिली थी उसे । वह पांच साल से एक ही पद पर कार्य कर रही थी । इस बार उसे पूर्ण उम्मीद थी कि उसकी पदोन्नति हो जायेगी लेकिन इस बार भी पदोन्नति के नाम पर ठन ठन गोपाल ही रहा । वह फैड अप हो गई और बॉस करण से चिढ़ गई । 

अगले दिन ऑफिस में पदोन्न्ति और इन्क्रीमेण्ट का मुद्दा ही छाया रहा । विकास की भी पदोन्नति नहीं हुई थी । इन्क्रीमेण्ट के रूप में सबकी तनख्वाह 10% बढा दी गई । विकास उसके केबिन में भन्नाता हुआ आया । 
"तुम्हें पता है रुक्को जी कि इस कंपनी में टेलेण्ट की कोई कद्र ही नहीं है" । 
"क्यों क्या हुआ सर ? लगता है कि आप आज बहुत नाराज हो रहे हैं । कोई खास वजह ? आओ , बैठो । चाय लोगे या ड्रिंक" ? रुक्मणी ने उससे हमदर्दी जताते हुए कहा 
"देखो ना , मैं छ : साल से असिस्टेंट मैनेजर ही बना हुआ हूं और वह जन्नत  ! दो साल पहले असिस्टेंट बनकर आई थी और आज सीनीयर मैनेजर बन गई है । दो साल में तीन प्रमोशन ? है ना कमाल ? पता नहीं सारा टेलेण्ट इसी जन्नत में भरा पड़ा है क्या" ? विकास बड़बड़ाते हुए बोला 
"हां, उसमें जो टेलेण्ट है वो किसी और में कहां ? खूबसूरत है, मॉडर्न है , खुले विचारों की है । और हरदम बॉस के इर्द-गिर्द मंडराती रहती है । तो क्यों नहीं मिलेंगे उसे इतने प्रमोशन" ? रुकमणी ने जले पर नमक छिड़कते हुए कहा 
"सच में । मैं तो इन दोनों की रास लीला देख देखकर बोर हो गया हूं । सोच रहा हूं कि कोई दूसरी कंपनी देख लूं । क्यों क्या खयाल है आपका" ? 
"मुझे लगता है कि मुझे भी अब कोई दूसरी कंपनी देख लेनी चाहिए । यहां काम की नहीं, चाम की कद्र ज्यादा है शायद । चलो कोई नहीं , अब मेरी आंखें भी खुल गई हैं तो अब नई कंपनी ही सही" । कहते हुए रुकमणी और विकास ने अपनी चाय समाप्त की और अपने अपने काम में लग गए । 

इतने में बॉस का बुलावा आ गया । बॉस के केबिन में जब वह गई तो वहां पहले से ही जन्नत बैठी हुई थी । उसे देखकर रुकमणी और भी चिढ़ गई पर वह कर क्या सकती थी सिवाय उसे घूरकर देखने के । 
"आओ रुकमणी जी , बैठो । सॉरी , इस बार हम आपका प्रमोशन नहीं कर पाये पर अगले साल आपको सीधे मैनेजर बना देंगे । ये मेरा प्रॉमिस है । अब तो खुश हो ना" ? करण स्पष्टीकरण देते हुए बोला 

रुकमणी कुछ बोलती उससे पहले ही जन्नत बोल पड़ी "खुश कैसे नहीं होंगी सर , आखिर इतनी बढिया कंपनी और इतना बढिया पैकेज हर कहीं नहीं मिलता है । क्यों रुक्को जी" ? 

जन्नत के बीच में टांग अड़ाने से रुकमणी भाव खा गई और बोली "माइण्ड योर लैंग्वेज मिस जन्नत ! मेरा नाम रुक्को नहीं रुकमणी है, समझीं । और हां सर , मुझे इस साल प्रमोशन मिलना चाहिए था , नहीं मिला कोई बात नहीं । मैं कोई और कंपनी देख लेती हूं , अगर वहां चांस मिल गया तो मैं आपकी इतनी बढिया कंपनी और इतना बढिया पैकेज छोड़ दूंगी" उसने मुंह बनाकर जन्नत को चिढ़ाते हुए कहा । 
"अरे आप तो मिस जन्नत की बात का बुरा मान गईं रुकमणी जी । मिस जन्नत की ओर से मैं आपसे माफी मांग लेता हूं । और हां, आपको 5% अतिरिक्त और मिल जायेगा । अब तो खुश हो ना" ? करण डेमेज कण्ट्रोल करते हुए बोला 
"खुश तो नहीं हूं सर, कोई और कंपनी देख लूंगी । मेरी चिंता ना करें आप" । रुकमणी जन्नत को चिढ़ाते हुए बोली । 
"सर, अगर ये जाना चाहतीं हैं तो जाने दें इन्हें । हम कोई और रख लेंगे । जो भी आयेगी, इनसे तो बेहतर ही होगी" । जन्नत ने तो पैट्रोल ही छिड़क दिया था जिसमें रुकमणी धू धू कर जलने लगी । 
"कीप क्वाइट जन्नत  ! थोड़ी देर चुप नहीं बैठ सकती हो क्या ? जब मैं बात कर रहा हूं तो तुम्हें बीच में बोलने की क्या जरूरत है ? और हां रुकमणी जी, मैं फिर से जन्नत की ओर से माफी मांगता हूं । आप बहुत ईमानदारी से काम करती हैं । मैं आपकी कद्र करता हूं । मेरा अनुरोध है कि कंपनी छोड़कर ना जायें । बाकी आपकी इच्छा" । करण ने सांत्वना देते हुए कहा । 

रुकमणी वहां से चली आई और उसे जन्नत पर बहुत गुस्सा आने लगा । "रखैल कहीं की ! इससे तो अच्छा होता किसी कोठे पर ही बैठ जाती ? कम से कम बॉस का घर तो नहीं उजड़ता" । वह मन ही मन बड़बड़ा रही थी । इतने में विकास आ गया । उसने विकास से जन्नत के बारे में खूब भला बुरा कहा और अपनी भड़ास निकाल ली । विकास भी उससे चिढ़ा हुआ था । उसने भी जी भरकर जन्नत को गालियां दे डालीं । 

उसने एक दो कंपनियों में एप्लाई कर दिया । ऑनलाइन इण्टरव्यू हो गये और एक अच्छी सी कंपनी में उसका चयन हो गया । पद भी मैनेजर का और वेतन भी इस कंपनी के बराबर । रुकमणी ने अपना मानस कंपनी छोड़ने का बना लिया और अपना त्याग पत्र मेल कर दिया । 

जैसे ही त्याग पत्र करण को मिला , वह अपने केबिन से उठकर रुकमणी के केबिन में आ गया और उससे कंपनी ना छोड़ने के लिए मिन्नतें करने लगा । रुकमणी अपनी बात पर अडिग रही । 

शाम को जब वह घर पहुंची तो वहां एक औरत उसका इंतजार कर रही थी । पूछने पर उसने अपना नाम सलोनी बताया और कहा कि वह करण की पत्नी है । रुकमणी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह उससे मिलने क्यों आई है ? उसने उसे अंदर बैठाया और पानी का गिलास पकड़ाते हुए आने का कारण पूछा 
"मैंने सुना है कि आप कंपनी छोड़ रही हैं" ? 
"जी हां, सोच रही हूं कि और दूसरी कंपनी ज्वाइन कर लूं । यहां काम की कोई कद्र ही नहीं है, फिर यहां रहने से क्या फायदा" ? 
"आप सच कह रही हैं रुकमणी जी । आजकल तो इस कंपनी में जन्नत जैसी 'रांड' ज्यादा तरक्की पा रही हैं । मैं भी सब कुछ जानती हूं । बातें मेरे पास भी आती हैं लेकिन मेरे पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है इसलिए मैं तलाक का केस फाइल नहीं कर रही हूं । मैं चाहती हूं कि आप जैसे वफादार लोग रहेंगे तो जन्नत जैसे लोगों पर थोड़ा बहुत अंकुश लगता रहेगा । करण भी खुलकर गुलछर्रे नहीं उड़ा सकेगा । इसलिए मेरा अनुरोध है कि आप ये कंपनी छोड़कर मत जाओ" । इतना कहकर सलोनी चल दी । 

रुकमणी सोच में पड़ गई । उसे सलोनी पर तरस आने लगा । एक पत्नी जिसे पता है कि उसका पति अपनी मैनेजर के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा है मगर वह कुछ कर नहीं पा रही थी । रुकमणी ने एकदम से कंपनी छोड़ने के इरादे को त्याग दिया और एक दो महीना वॉच करने का निर्णय लिया । इतने में बॉस का फोन आ गया । कह रहा था कि कल बैंगलोर में एक अर्जेन्ट मीटिंग आ गई है इसलिए उसे साथ चलना होगा । रुकमणी ने उसे चिढ़ाने के लिए कहा "सर, आप जन्नत को साथ ले जाइये । मैं क्या करूंगी वहां" ? 
"वो भी साथ चल रही हैं और आपको भी साथ चलना है । टिकिट आपको मेल कर दिया है । टैक्सी आपको एयरपोर्ट पर छोड़ देगी" । उसने फोन काट दिया । 

रुकमणी के पास अब कोई विकल्प नहीं था । वह तैयार होकर एयरपोर्ट पहुंच गई । वहां पर पहले से ही बॉस जन्नत के साथ बैठे थे । जन्नत को देखकर रुकमणी चिढ गई और मुंह फेरकर दूसरी ओर देखने लगी । एयरपोर्ट पर ही कल की मीटिंग की प्लानिंग होने लगी । रुकमणी को एक रिपोर्ट बनाने के लिए कहा गया । रुकमणी ने अपने लैपटॉप पर वहीं बैठे बैठे वह रिपोर्ट तैयार कर दी । 

एयरपोर्ट पर दो सीटें एक साथ और तीसरी सीट अलग थी । रुकमणी को लगा कि बॉस ने जानबूझकर ऐसी सीट ली होगी जिससे वह और जन्नत साथ साथ बैठें और रुकमणी अलग बैठ जाये । मगर जब बैठने लगे तो बॉस अलग सीट पर बैठे और वे दोनों महिलाऐं साथ साथ बैठीं । दोनों महिलाऐं चुपचाप बैठी रहीं । किसी ने कोई बात नहीं की । पूरा सफर ऐसे ही गुजर गया ।  बैंगलोर में वे होटल ताज में आ गये । 

रिसेप्शन पर पता चला कि करण ने तीन रूम बुक कराये थे । रुकमणी ने तो सोचा था कि बॉस दो रूम ही बुक करायेंगे।  एक रुकमणी के लिए और एक उन दोनों के लिए । मगर यहां तो बात कुछ और ही थी । वह एक बार फिर गलत साबित हुई थी । रिसेप्शनिस्ट ने माफी मांगते हुए कहा "सॉरी सर, सरकार ने कल कुछ रूम एक्वायर कर लिये हैं इसलिए हम आपको केवल दो रूम ही उपलब्ध करवा सकते हैं । अगर आप इन दो रूम्स में चाहें तो रुक सकते हैं नहीं तो कोई दूसरी होटल देख सकते हैं" । 

अब ऐन टाइम पर दूसरी होटल में रूम कहां मिल सकता है ? यह सोचकर बॉस ने कहा "ठीक है हम दो रूम से काम चला लेंगे" । उसने उन दोनों महिलाओं से कहा "हालांकि आप दोनों को एकसाथ रहने में दिक्कत तो आयेगी लेकिन और कोई विकल्प नहीं है अपने पास । मैं दूसरे रूम में ठहर जाऊंगा" । कहकर बॉस अपने रूम में चले गये । रुकमणी और जन्नत दोनों मुंह बिचका कर अपने रूम में आ गयीं । रुकमणी सोचने लगी कि जन्नत रात को बॉस के रूम में जायेगी और रात भर वहीं रहकर खूब गुलछर्रे उड़ायेगी । आज वह दोनों को रंगे हाथ पकड़ा चाहती थी , इसलिए वह सोने का बहाना कर जन्नत की गतिविधियों पर नजर रख रही थी । जन्नत एक बार जो सोई तो फिर वह पूरी रात सोती ही रही । उसकी धारणा एक बार फिर से ध्वस्त हो गई । रुकमणी को लगा कि जो कुछ उसने सुना था वह गलत था । 
धीरे धीरे दोनों में महिलाओं में बात होने लगी तो पता चला कि जन्नत बहुत गरीब लड़की थी । उसने अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर यह मुकाम बनाया है । हां, यह बात जरूर है कि वह आधुनिक खयालों की है और कपड़े भी कुछ वैसे ही पहनती है लेकिन वह अभी तक 'विर्जिन' ही है । रुकमणी को उसकी 'विर्जिनीटी' के बारे में जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ । वह तो जन्नत को पता नहीं क्या क्या समझ बैठी थी ? उसकी सारी धारणाऐं निर्मूल सिद्ध हो गईं । 

दोपहर को कंपनी की मीटिंग कोरियन कंपनी के साथ हो गई और कोरिया की एक बड़ी कंपनी से करीब 500 करोड़ का ऑर्डर भी मिल गया । करण प्रसन्न हो गया और उसने जन्नत तथा रुकमणी की सैलरी 10% और बढा दी । रुकमणी का प्रमोशन भी मैनेजर पद पर कर दिया । करण को आज ही वापस जाना था इसलिए वह वापस चला गया । जन्नत अपनी सहेली से मिलने चेन्नई चली गई और रुकमणी अपनी दीदी से मिलने के लिए वहीं बैंगलोर में रुक गई । 

उसकी दीदी अचानक रुकमणी को देखकर बहुत आश्चर्य चकित हुई । दोनों ने जी भरकर बातें कीं । जीजाजी ऑफिस में ही थे इसलिए दोनों बहनें पास में ही एक प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन करने के लिए आ गईं । 

रुकमणी अभी टैक्सी से उतर ही रही थी कि अचानक उसकी निगाह मंदिर के अहाते में पड़ी । वहां पर विकास और सलोनी दोनों को एक साथ देखकर वह हक्का बक्का रह गई । उसने दीदी को रुकने का इशारा किया और वह टैक्सी में बैठकर दोनों पर निगाह रखने लगी । सलोनी और विकास एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले हुए मंदिर में सैल्फी ले रहे थे और फोटो खिंचवा रहे थे । कभी दोनों आलिंगन बद्ध होते तो कभी दूसरा पोज बनाते थे । रुकमणी विकास से प्रेम करने लगी थी मगर उसका यह रूप देखकर वह दंग रह गई । और सलोनी ? वह तो अपने पति पर इल्जाम लगा रही थी जन्नत को लेकर, लेकिन उसने तो करण को एकदम उल्टा पाया । करण और जन्नत दोनों ने एक बार भी अकेले में कोई मुलाकात नहीं की थी । लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा है । उसने सलोनी को क्या समझा था और वह क्या निकली ? सारा मामला ही उल्टा पुल्टा लगने लगा था । और विकास ! वह तो सज्जनता की प्रतिमूर्ति बना बैठा था । आज उसकी भी पोल खुल गई थी । लगता है कि अपने संबंधों को छुपाने के लिए हि विकास और सलोनी दोनों ने ही करण और जन्नत के बारे में ऐसी अफवाहें उड़ाई थी और विकास ही ऑफिस की सारी सूचनाऐं सलोनी को देता था जिससे सलोनी को ऑफिस की सारी गतिविधियों की जानकारी मिलती रहे । 

उसने कन्फर्म करने के लिए विकास को फोन लगाया । विकास ने फोन उठाकर बंद कर दिया और एक मैसेज भेज दिया "अभी मैं एक अर्जेन्ट मीटिंग में हूं, बाद में कॉल करता हूं" । रुकमणी के देखते देखते विकास और सलोनी अंदर मंदिर में चले गए । रुकमणी को विकास की अर्जेन्ट मीटिंग की जानकारी हो चुकी थी । 

विकास का यह रूप देखकर रुकमणी का मन उचट गया । वह दीदी को लेकर दीदी के घर आ गई और दीदी को सारी घटना बताई । दीदी ने कहा "अच्छा हुआ जो विकास की हकीकत पता चल गई । अब तू भी उससे दूर ही रहना" । 
रुकमणी सलोनी और विकास की एक फोटो लेना चाहती थी मगर वह चूक गई थी । अगले दिन वह उसी मंदिर में गई और वहां खड़े फोटोग्राफरों से विकास का फोटो दिखाकर कल ली गई फोटो की कॉपी ले ली । अब उसके पास सबूत भी था । 

अगले दिन वह मैसूर महल देखने अपने जीजाजी और दीदी के साथ गई । वहां पर विकास किसी और लड़की के साथ नजर आया । " कितनी लड़कियों के साथ फ्लर्ट कर रहा है यह विकास " ? रुकमणी ने मन ही मन सोचा । इस बार उसे फोटो लेना याद रहा । रुकमणी ने चुपके से उनकी तीन चार फोटो अपने कैमरे में कैद कर ली । विकास की लंपटता से वह बहुत विचलित हो गई । उसका मन एकदम से खट्टा हो गया था । वह विकास को देवता समझ बैठी थी लेकिन वह तो दानव निकला । 

अगले दिन वह वापस जाने की तैयारी करने लगी तो उसकी दीदी ने उसे चेन्नई चलने के लिए कहा । एक दो दिन चेन्नई में घूम आयेंगे और बुआ से भी मिल आयेंगे । रुकमणी तैयार हो गई । दोनों बहनें चेन्नई आ गईं । 

शाम को दोनों बहनें "मरीन बीच" घूमने आ गई । रुकमणी जन्नत और करण को वहां एकसाथ देखकर गश खाकर गिरते गिरते बची । जन्नत करण की बांहों में थी और दोनों जने समुद्र में लहरों का आनंद ले रहे थे । रुकमणी अपनी दीदी की ओट में होकर दोनों की रासलीला देखने लगी और अपने मोबाइल में कैद करने लगी । अब उसे प्रेम नाम से ही नफरत हो गई  । इतनी सारी कहानियां देख देखकर उसका दिल त्राहि त्राहि कर उठा । 

उसकी दीदी ने उसे संभाला और कहा "प्रेम के नाम पर आजकल धोखे बहुत मिलते हैं । पर इसका मतलब ये कतई नहीं है कि सभी लोग धोखेबाज हैं । तुम्हारे जीजाजी को ही देख लो । कितने समर्पित हैं वे मेरे प्रति । काश सारे मर्द उनके जैसे होते" । 
"और सारी औरतें आप जैसी । आप भी तो पतिव्रता स्त्री हैं । आज के जमाने में ऐसे लोग मिलते कहां हैं ? आप दोनों बहुत भाग्यशाली हैं जो सच्चा प्रेम मिला आपको । वरना तो सलोनी, विकास , करण और जन्नत जैसे लंपटों से भरी हुई है ये दुनिया । किसी ने सच ही कहा है कि ये इश्क नहीं आसां" । 

इस सबको देखने के पश्चात रुकमणी ने उस कंपनी से त्यागपत्र दे दिया और दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया । अब लाख टके का प्रश्न यह है कि क्या उसे सच्चा प्यार मिल पायेगा ? पाठक लोग अपने अपने हिसाब से बतायें । 
😊😊😊

श्री हरि 
24.4.23 

   17
9 Comments

KALPANA SINHA

03-Jul-2023 01:38 PM

amazing

Reply

Varsha_Upadhyay

27-Apr-2023 05:06 PM

👏👌

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

28-Apr-2023 03:10 AM

🙏🙏

Reply

अदिति झा

27-Apr-2023 03:01 PM

Nice

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Apr-2023 03:40 PM

🙏🙏

Reply